लगभग 15 वर्षों के बाद कवि सत्यनारायण जी से
मिलना अच्छा लगा। बहुत ख़ुशी हुई। उन्होंने मुझे फोन करके बुलाया खानपुर,
जहाँ वह अपने बेटे के यहाँ ठहरे हुए हैं। उन्हें मेरा नंबर भोजपुरी सिटी के
सम्पादक Akhilesh Kumar ने दिया था। घंटों उनसे बाते हुईं।
पटना प्रवास की बहुत सारी बातें। आचार्य पाण्डेय कपिल, कविवर जगन्नाथ,
भगवती प्रसाद द्विवेदी, नागेन्द्र प्रसाद सिंह, कृष्णा नन्द कृष्ण, डा०
शम्भुशरण जी ....अजीत गांगुली , तरुण दा , अनिल मुखर्जी, कैलाश गौतम ,
उमाकांत वर्मा ... न जाने कितने प्रिय, वरिष्ठ और आदरणीय साहित्यकारों -
नाटककारों की भूली विसरी यादें ताजी हो गयीं। फिर कुछ मैंने सुनाईं ..कुछ
उन्होंने सुनाई। मेरी कविताओं पर उन्होंने खूब आशीर्वाद दिया। इतना तो वह
पटना में भी नहीं बतियाये थे। एक-दो बार की तो मुलाक़ात हीं है। ..हाँ मेरे
अफ्रिका चले जाने के बाद सन 2004 में जब मेरी पहली पुस्तक ''तस्वीर जिंदगी
के'' प्रकशित हुई तो उसकी भूमिका कविवर सत्यनारायण जी ने लिखी। फिर भी कभी
उनसे / फोन पर भी बात नहीं हुई थी। ..लेकिन आज यह जानकार और महसूस कर कि
मेरी ग़ज़लें और मेरा ग़ज़लकार कविवर के ह्रदय में था और है ...मै भर गया।
..चलते-चलते कविवर ने मुझे आशीर्वाद के साथ अपनी एक पुस्तक '' सभाध्यक्ष
हंस रहा है '' सस्नेह भेंट की
मनोज भावुक एवं कवि सत्यनारायण |
मनोज भावुक एवं कवि सत्यनारायण |
मनोज भावुक एवं कवि सत्यनारायण |
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