घर आते हीं बेटे की मुस्कुराहट माथे की सिलवटों
को सामान्य कर देती है ..और गलती से कहीं फिर चिंता फ़िक्र की उन्हीं गलियों
में वापस चला गया तो खैर नहीं। हिमांशु तपाक से टोक देता है - '' पापा
कितना सोचते हो '' . और फिर उसकी मुस्कुराहट से वापस लौट आता हूँ अपने घर
में..अपने परिवार में। 19 नवम्बर ...हिमांशु का जन्मदिन। हिमांशु के लिए
आपके स्नेह और आशीष का आकांक्षी- मनोज
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